history of tajmahal


भारत की शान एवं प्रेम का प्रतीक ताजमहल

 

            ताजमहल अपनी बेमिसाल खूबसूरती और भव्यता की वजह से दुनिया के सात अजूबों में से एक है। ताजमहल को मोहब्बत की मिसाल माना जाता है। यह मुगल शासक शाहजहां और उनकी सबसे चहेती बेगम मुमताज महल के अटूट प्रेम की याद दिलवाता है। आगरा में स्थित ताजमहल की सुंदरता को देखने दूर-दूर से सैलानी आते हैं और इसके अद्भत सौन्दर्य को देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं।

        ताजमहल, भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जिसकी वजह से भारत में टूरिज्म को भी काफी बढ़ावा मिला है। वहीं ताजमहल को इसके आर्कषण की वजह से विश्व धरोहर की लिस्ट में भी शामिल किया गया है। ताजमहल के निर्माण के पीछे बेहद रोचक कहानी 

ताजमहल का निर्माण कब और किसने करवाया और इसका इतिहास 

        मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी कुशल रणनीति के चलते 1628 ईसवी से 1658 ईसवी तक भारत पर शासन किया था। शाहजहां स्थापत्य कला और वास्तुकला का गूढ़प्रेमी था, इसलिए उसने अपने शासनकाल में कई ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण करवाया था, जिसमें से ताजमहल उनकी सबसे प्रसिद्ध इमारत है, जिसकी खूबसूरती के चर्चे पूरी दुनियाभर में हैं।

        ताजमहल दुनिया की सबसे मशहूर ऐतिहासिक इमारतों में से एक  है। मुगल शासक शाहजहां ने अपनी सबसे चहेती बेगम मुमताज महल की मौत के बाद उनकी याद में 1632 ईसवी में इसका निर्माण काम शुरु करवाया था। आपको बता दें कि ताजमहल, मुमताज महल का एक विशाल मकबरा है, इसलिए इसे ”मुमताज का मकबरा” भी कहते हैं। मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने प्रेम को हमेशा अमर रखने के लिए ताजमहल का निर्माण करवाया था।

मुमताज महल की याद में करवाया दुनिया की इस सबसे खूबसूरत इमारत का निर्माण 

        खुर्रम उर्फ शाहजहां ने 1612 ईसवी में अरजुमंद बानो बेगम (मुमताज महल) से उनकी खूबसूरती से प्रेरित होकर निकाह किया था। जिसके बाद वे उनकी सबसे प्रिय और पसंदीदा बेगम बन गईं थी। मुगल बादशाह शाहजहां अपनी बेगम मुमताज महल को इस कदर प्यार करता था कि वह एक पल भी उनसे दूर नहीं रह सकता था, यहां तक की वह अपने राजनैतिक दौरे में भी उनको अपने साथ लेकर जाता था और मुमताज बेगम की सलाह से ही अपने राज-काज से जुड़े सभी फैसले लेता था और मुमताज की मुहर लगने के बाद ही शाही फरमान जारी करता था।

        वहीं 1631 ईसवी में मुमताज महल जब अपनी 14वीं संतान को जन्म दे रही थीं, तभी अत्याधिक प्रसव पीड़ा की वजह से उनकी मौत हो गई थी। वहीं शाहजहां अपने प्रिय बेगम की मौत से अंदर से बिल्कुल टूट गया था, और इसके बाद वह काफी गमगीन रहने लगा था, फिर उसने अपने प्रेम को सदा अमर रखने के लिए ”मुमताज का मकबरा” बनाने का फैसला लिया था,जो कि बाद में ताजमहल के नाम से मशहूर हुआ। इसलिए, इसे शाहजहां और मुमताज के बेमिसाल प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।

ताजमहल कब बना और इसके निर्माण में कितना समय लगा 

        मोहब्बत की मिसाल माने जाने वाले ताजमहल का निर्माण काम करीब 23 साल के लंबे समय के बाद पूरा हो सका था। सफेद संगममर से बने ताजमहल की नक्काशी और सजावट में छोटी-छोटी बारीकियों का ध्यान रखा गया है। यही वजह है निर्माण के इतने सालों बाद आज भी लोग इसकी खूबसूरती के कायल है और यह दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक है।

        आपको बता दें कि  मुगल बादशाह शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण  1632 ईसवी में शुरु किया था, लेकिन इसका निर्माण काम 1653 ईसवी में ही पूरा हो सका था। मुमताज के इस बेहद खास मकबरे को बनाने का काम वैसे तो 1643 ईसवी में ही पूरा कर लिया गया था, लेकिन इसके बाद वैज्ञानिक महत्व और वास्तुकला के हिसाब से इसकी संरचना को बनाने में करीब 10 साल और ज्यादा लग गए थे, इस तरह दुनिया की यह भव्य ऐतिहासिक धरोहर 1653 ईसवी में पूरी तरह बनकर तैयार हुई थी।

        ताजमहल को बनाने में हिन्दू, इस्लामिक, मुगल समेत कई भारतीय वास्तुकला का समावेश  किया गया है। उत्तरप्रदेश के आगरा में स्थित इस भव्य और शानदार इमारत को करीब 20 हजार मजदूरों ने मुगल शिल्पकार उस्ताद अहमद लाहैरी के नेतृत्व ने बनाया था।

        हालांकि, ताजमहल को बनाने वाले मजदूरों से संबंधित यह मिथ भी जुड़ा हुआ है कि, ताजमहल का निर्माण काम पूरा होने के बाद मुगल शासक शाहजहां ने सभी कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे। ताकि दुनिया में ताजमहल जैसी अन्य इमारत नहीं बन सके। वहीं ताजमहल के दुनिया के सबसे अलग और अद्भुत इमारत  होने के पीछे एक यह भी बड़ा कारण बताया जाता है।

ताजमहल को बनाने में आयी लागत 

        भारत की शान माने जाने वाले ताजमहल को बनाने में मुगल सम्राट शाहजहां ने दिल खोलकर पैसा खर्च किया था, जबकि  उसकी संतान औरंगजेब ने इसका काफी विरोध भी किया था।

        आपको बता दें कि मुमताज महल के इस भव्य मकबरे को बनाने में शाहजहां ने  उस समय करीब 20 लाख रुपए की लागत खर्च की थी, जो कि आज के करीब 827 मिलियन डॉलर और 52.8 अरब रुपए है।

ताजमहल का रहस्य एवं वास्तुकला 

        आगरा में स्थित ताजमहल अपने आप में अनुपम और अद्भुत स्मारक है, जो कि अपनी अप्रितम वास्तुकला के लिए दुनिया भर में मशहूर है। यह सफेद संगममर पत्थरों से बनी एक बहुमूल्य ऐतिहासिक धरोहर है, जो कि भारतीय, इस्लामिक, मुगल और परसी वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है।

        ताजमहल को बनाने में प्राचीन मुगल परंपराओं समेत पार्शियन वास्तुशैली का बेहद ध्यान रखा गया था। बेमिसाल प्रेम का प्रतीक माने जाने वाला ताजमहल अपनी भव्यता, खूबसूरती और आर्कषण की वजह से दुनिया के सात अजूबों में से एक है। मुगलकाल में बने इस ऐतिहासिक स्मारक, ताजमहल के निर्माण में बहुमूल्य एवं बेहद महंगे सफेद संगममर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।

        आपको बता दें कि मुगल शासकों ने अपने शासनकाल के दौरान ज्यादातर ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण में लाल बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया था, लेकिन ताजमहल के निर्माण में सफेद संगममर के पत्थरों का इस्तेमाल अपने आप में खास है, जो कि इसकी खूबसूरती को और अधिक बढ़ा देते हैं।

        इस बेहद सुंदर और आर्कषण इमारत के निर्माण में करीब 28 अलग-अलग तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। जो कि हमेशा चमकते रहते हैं और कभी काले नहीं पड़ते। वहीं कई पत्थरों की यह भी खासियत है कि यह चांद की रौशनी में चमकते रहते हैं। वहीं शरद पूर्णिमा के दौरान पत्थरों के चमकने से ताजमहल की शोभा और भी अधिक बढ़ जाती है।

        दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारतों में से एक ताजमहल की दीवारों पर बेहद खूबसूरत नक्काशी की गई है। इस भव्य स्मारक को बनाने में छोटे-छोटे पहलुओं को ध्यान में रखकर इसे बेहद आर्कषित और शाही डिजाइन दी गई है, इसलिए मुगल काल में बनी यह ऐतिहासिक धरोहर, प्रसिद्ध विश्व धरोहरों की सूची में शामिल है।

        भारतीय-इस्लामिक वास्तुकला के इस अद्भुत ऐतिहासिक इमारत के बाहर बेहद सुंदर लाल पत्थरों से बना एक काफी ऊंचा दरवाजा है, जो कि बुलंद दरवाजा नाम से मशहूर है। ताजमहल के शीर्ष पर करीब 275 फुट ऊंची विशाल गुंबद बनी हुई है, जो कि इसके आर्कषण को और भी अधिक बढ़ाती है। इसके अलावा अन्य कई छोटी-छोटी गुंबद भी बनी हुई है।

        ताजमहल की गुंबद के नीचे दो बेमिसाल प्यार करने वाले प्रेमी मुमताज और शाहजहां की कब्र भी बनी हुई हैं, लेकिन इन कब्रों को वास्तविक नहीं समझा जाता है। इनकी असली समाधि नीचे तहखाने में बनी हुई है, जहां आमतौर पर जाने की अनुमति नहीं है। अर्धगोलाकार आकार में बने ताजमहल की सुंदरता और भव्यता को देखकर हर कोई मंत्रमुंग्ध हो जाता है और इसकी तरफ खींचा चला आता है।

ताजमहल के अलग-अलग हिस्से 

  • ताजमहल का एंट्री गेट 

        दुनिया के इस सबसे खूबसूरत और भव्य स्मारक ताजमहल का मुख्य प्रवेश दक्षिण द्धार से है। इस एंट्री गेट की लंबाई 151 फीट और चौड़ाई 117 फीट है। इस प्रवेश द्धार के आस-पास और बगल में कई और छोटे द्धार भी बने हुए हैं, जिनके माध्यम से यहां आने वाले सैलानी ताजमहल के मुख्य परिसर में प्रवेश करते हैं और इसके खूबसूरत नजारे का आनंद लेते हैं।

  • ताजमहल का मेन गेट  
      •         उत्तरप्रदेश के आगरा में स्थित मुगलकालीन वास्तुकला के इस बेजोड़ इमारत ताजमहल का मुख्य द्धार           को लाल बलुआ पत्थरों से बनाया गया है। 30 मीटर ऊंचे, ताजमहल के इस मुख्य द्धार पर कुरान की             पवित्र आयतें तराशी गईं हैं, जो कि इसकी सुंदरता को और अधिक बढ़ा रही हैं।  

      •       दुनिया के 7 अजूबों में से एक ताजमहल की सुंदर नक्काशी और कारीगरी की वजह से यह अपने आप में        अद्धितीय है,लेकिन इसकी खूबसूरती को इसके परिसर में बने हरे-भरे बगीचे और भी ज्यादा बढ़ा रहे हैं।
      •       आपको बता दें कि यहां चार सुंदर बगीचे बने हुए हैं, जो कि इसके दोनों तरफ फैले हुए हैं। वहीं यहां       आने  वाले सैलानी ताजमहल की खूबसूरती को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, और इस पल को हमेशा के लिए संजोने के लिए एवं इसे और ज्यादा खास बनाने के लिए तस्वीरें भी लेते हैं।
  • ताज संग्रहालय
  •     इस भव्य ताजमहल के बीचो-बीच एक मंच बना हुआ है, जिसके लेफ्ट साइड में ताज संग्रहालय है, जिसे कारीगरों ने बेहद बारीकी से तराशा है, और यह संग्रहालय भी सैलानियों का ध्यान अपनी तरफ खींचता है।
  • ताजमहल के अंदर बनी मस्जिद 

        इस विश्व प्रसिद्ध एवं भव्य ऐतिहासिक धरोहर के बाईं तरफ मुगल सम्राट शाहजहां ने लाल बलुआ पत्थरों से एक शानदार मस्जिद बनवाई है। मुमताज महल के भव्य मकबरा के पास इस भव्य मस्जिद का निर्माण करवाया गया है।

  • बेगम मुमताज महल का मकबरा और कब्र 

            दुनिया की इस सर्वश्रेष्ठ इमारत का मुख्य आर्कषण का केन्द्र शाहजहां की प्रिय बेगम मुमताज महल का मकबरा है। इस मकबरे को बड़े-बड़े सफेद संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल कर बनाया गया  हैं। वहीं इस मकबरे के ऊपर पर गोल गुंबद इसके आर्कषण को और भी अधिक बढ़ रहा है। वर्गाकार आकार में बने इसे शानदार मकबरे का हर किनारा करीब 55 मीटर का है। वहीं इस इमारत का आकार अष्टकोण है।

            मकबरे में चार सुंदर मीनारें भी बनी हैं,जो इस भव्य इमारत की चौखट बनती हुईं प्रतीत होती हैं। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि मुगल सम्राट शाहजहां द्धारा बनवाया गया यह मकबरा करीब 42 एकड़ जमीन में फैला हुआ है, वहीं इसके चारों तरफ से सुंदर हरे-भरे बगीचों से घिरे होने की वजह से यह बेहत खूबसूरत लगता है, वहीं दुनिया के कोने-कोने से पर्यटक इस भव्य इमारत की सुंदरता को निहारने के लिए खींचे चले आते हैं।शाहजहां और मुमताज के पवित्र प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले इस भव्य ताजमहल के अंदर बनी मुमताज बेगम की कब्र अथवा मकबरा के शीर्ष पर एक सफेद संगमरमर के पत्थर से बनी विशाल गुंबद, एक उल्टे कलश की तरह सुशोभित है, जो कि इसकी खूबसूरती पर चार चांद लगा रही है।

ताजमहल के चारों कोने पर बनी खूबसूरत मीनारें:

        हिन्दू, मुस्लिम और मुगलकालीन वास्तुकला की इस अद्धितीय स्मारक ताजमहल  के चारों कोनों पर करीब 40 मीटर ऊंचाई वाली सुंदर मीनारें बनी हुईं हैं, जो कि इसकी सुंदरता को और अधिक बढ़ा रही हैं। वहीं यह मीनारें अन्य मीनारों की तरह एकदम सीधी नहीं होकर थोड़ी सी बाहर की तरफ झुकी हुई हैं।

        वहीं इन मीनारों का बाहर की तरफ झुकाव के पीछे यह तर्क दिया जाता है कि, अगर किसी भी विनाशकारी परिस्थिति में मीनार गिरती है तो यह मीनारें बाहर की तरफ ही गिरेंगी, इससे ताजमहल की मुख्य इमारत को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा।

ताजमहल में बनी छतरियां:

            मोहब्बत की मिसाल माने जाने वाला इस भव्य इमारत की विशाल गुंबद को सहारा देने के लिए छोटे-छोटे आकार की सुंदर छतरियां बनाई गईं हैं, इनके आधार से शाहजहां की बेगम मुमताज महल के मकबरे पर शानदार रोश्नी पड़ती है, जो कि देखने में बेहद आर्कषक लगती है।

ताजमहल के ऊपर बना सुंदर कलश:

            दुनिया की इस सबसे खूबसूरत और ऐतिहासिक धरोहर ताजमहल के शीर्ष पर बनी विशाल गुंबद पर एक कांसे के द्धारा निर्मित बेहद खूबसूरत कलश बना हुआ है। वहीं इस कलश के ऊपर चंद्रमा की खूबसूरत आकृति भी बनी हुई है, इस कलश की नुकीले नोंक और चंद्रमा की आकृति एक त्रिशूल जैसी प्रतीत होती है, जो कि हिन्दू धर्म की मान्यता के मुताबिक भगवान शिव के चिन्ह को दर्शाती हैं।

ताजमहल में लिखे गए सुंदर लेख:

            भारत की शान माने जाने वाली इस भव्य इमारत पर मौजूद लेख फारसी और फ्लोरिड ठुलूठ लिपि में लिखे गए हैं, जिसमें कई सूरों को वर्णित किया गया है, वहीं इस सूरा में कुरान की कई आयतें मौजूद हैं।

ताजमहल की बाहरी संरचना एवं सजावट:

            ताजमहल अपनी अनुपम वास्तुकला और सुंदर बनावट के लिए दुनिया भर में मशूहर है। यह भारतीय, इस्लामिक, मुगल और परसी वास्तुकला का अद्धितीय उदाहरण है। जिसकी बेहद सुंदर नक्काशी की गई है और कई छोटी-छोटी बारीकियों को ध्यान में रखकर इसे तराशा गया है।

        मुमताज महल के इस भव्य मकबरे का अति विशाल गुंबद आसाधरण रुप से एक बड़े ड्रम पर टिका हुआ है, जिसकी कुल ऊंचाई 44.41 मीटर है।

आंतरिक प्रारुप एवं सजावट: मुमताज महल के इस भव्य मकबरे के नीचे एक तहखाना भी है, आम तौर पर सैलानियों को यहां जाने की अनुमति नहीं है।  इस कब्र के नीचे करीब 8 कोने वाले 4 अलग-अलग कक्ष है। इस कक्ष के बीचों-बीच शाहजहां और मुमताजमहल की भव्य और आर्कषित कब्रे हैं।

    आपको बता दें कि दुनिया की इस सबसे खूबसूरत इमारत के अंदर शाहजहां की कब्र बाईं तरफ बनी हुई हैं, जो कि मुमताज महल की कब्र से कुछ ऊंचाई पर है और  विशालकाय गुंबद के ठीक नीचे बनी हुई है। जबकि मुमताज महल की कब्र संगमरमर की जाली के बीच में स्थित है, जिस पर बेहद खूबसूरत तरीके से पर्शियन में कुरान की आयतें लिखी हैं।

    इन दोनों खूबसूरत कब्रों को कीमती रत्नों से सजाया गया है और इन कब्रों के चारों तरफ संगमरमर की जालियां बनी हुईं है। वहीं इस भव्य इमारत का अंदर ध्वनि का नियंत्रण अति उत्तम है।

विश्व धरोहर और प्रमुख पर्यटन स्थल के रुप में ताजमहल 

            ताजमहल, अपनी अद्भुत वास्तुकला और  सुंदरता की वजह से पूरी दुनिया भर में मशहूर है। इसकी विशालता और खूबसूरती को देखने दुनिया के कोने-कोने से सैलानी यहां आते हैं और इसकी खूबसूरती की तारीफ करते हैं। दुनिया के सात अजबूों में एक और शाहजहां और मुमताज की बेमिसाल मोहब्बत का प्रतीक माने जाने वाला ताजमहल दुनिया के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से भी एक हैं।

            यहां हर साल लाखों की तादाद में न सिर्फ देश से बल्कि विदेशों से ही पर्यटक आते हैं। ताजमहल, भारत सरकार का पर्यटन से होने वाली आय का मुख्य स्त्रोत भी है, शाहजहां द्धारा निर्मित इस भव्य ताजमहल को इसकी भव्यता और आर्कषण की वजह से साल 2007 में दुनिया के 7 अजूबों में शामिल किया गया था

            मुगलकाल में बनी दुनिया की इस सबसे खूबसूरत इमारत को उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे बनाया गया है। इसकी सुंदर बनावट और आर्कषक वास्तुकला हर किसी को अपनी तरफ आर्कषित करती है। मुमताज बेगम की याद में बना यह खूबसूरत ऐतिहासिक इमारत मुगल बादशाह शाहजहां और मुमताज बेगम की अमर प्रेम कहानी की याद दिलवाता है।

            सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनी यह भव्य इमारत सपनों के स्वर्ग की तरह प्रतीत होती है, एवं इसकी शाही बनावट हर किसी को अपनी आर्कषित करती है। इस ऐतिहासिक विश्व धरोहर ताजमहल के आसपास बने सुंदर-सुदर फूल बगीचों के बगान और इसके बीच में बने तालाब में पड़ती इसकी परछाई का दृश्य बेहद मनोरम लगता है।

        इस अर्धगोलाकार ऐतिहासिक स्मारक की विशाल गुंबद के नीचे एक कमरे में मुगल सम्राट शाहजहां की प्रिय बेगम मुमताज महल की शानदार कब्र बनी हुई हैं। इसके साथ ही इसकी दीवारों पर शाही कलाकृतियों का इ्स्तेमाल कर पत्थरों से सुंदर नक्काशी की गई है। यही नहीं सुंदर कांच के टुकड़ों का इस्तेमाल कर कुरान की कुछ आयतों को लिखा गया है। इसके अलावा ताजमहल के चारों कोनों पर बनी अति आकर्षक मीनारें भी इस इमारत की शोभा को बढ़ाती है।

प्रेम के प्रतीक माने जाने वाले ताजमहल की भव्यता और सुंदरता

            मुगलकाल में बनी दुनिया की इस सबसे खूबसूरत इमारत को उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे बनाया गया है। इसकी सुंदर बनावट और आर्कषक वास्तुकला हर किसी को अपनी तरफ आर्कषित करती है। मुमताज बेगम की याद में बना यह खूबसूरत ऐतिहासिक इमारत मुगल बादशाह शाहजहां और मुमताज बेगम की अमर प्रेम कहानी की याद दिलवाता है।

            सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनी यह भव्य इमारत सपनों के स्वर्ग की तरह प्रतीत होती है, एवं इसकी शाही बनावट हर किसी को अपनी आर्कषित करती है। इस ऐतिहासिक विश्व धरोहर ताजमहल के आसपास बने सुंदर-सुदर फूल बगीचों के बगान और इसके बीच में बने तालाब में पड़ती इसकी परछाई का दृश्य बेहद मनोरम लगता है।

            इस अर्धगोलाकार ऐतिहासिक स्मारक की विशाल गुंबद के नीचे एक कमरे में मुगल सम्राट शाहजहां की प्रिय बेगम मुमताज महल की शानदार कब्र बनी हुई हैं। इसके साथ ही इसकी दीवारों पर शाही कलाकृतियों का इ्स्तेमाल कर पत्थरों से सुंदर नक्काशी की गई है। यही नहीं सुंदर कांच के टुकड़ों का इस्तेमाल कर कुरान की कुछ आयतों को लिखा गया है। इसके अलावा ताजमहल के चारों कोनों पर बनी अति आकर्षक मीनारें भी इस इमारत की शोभा को बढ़ाती है।

  • दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक ताजमहल जाने वाले मुख्य मार्ग के बीच जो फव्वारे लगाए गए हैं, वे किसी पाइप से नहीं जुड़े हैं, बल्कि हर फव्वारे के नीचे एक तांबे का टैंक है, यह सभी टैंक एक ही समय पर भरते हैं, और प्रेशर पड़ने पर इसमें पानी भी छोड़ते हैं।
  • मुगल सम्राट शाहजहां ताजमहल की तरह ही एक काला ताजमहल बनवाना चाहता था, लेकिन इससे पहले शाहजहां को उसके निर्दयी बेटे औंरगेजब ने बंधक बना लिया था, जिससे उसकी यह ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी।
  • ताजमहल को बनाने के लिए करीब 8 अलग-अलग देशों से सामान लाया गया था। और इसकी निर्माण सामग्री ढोने के लिए करीब 1500 हाथियों का सहारा लिया गया था।
  • औरंगाबाद में इस भव्य और ऐतिहासिक स्मारक ताजमहल का डुप्लीकेट यानि की प्रतिकृति बनी हुई है, जो कि ‘मिनी ताज’ के नाम से मशहूर है। वास्तविक में यह ”बीवी का मकबरा” है।






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